क्या आपको पता है की वाल्मीकि कौन थे, आज इस पोस्ट मे हम आपको Valmiki Ka Jivan Parichay In Hindi के बारे मे बताएँगे। जब भी रामायण की बात होती है तब वाल्मीकि का नाम जरूर आता है ।
Maharishi Valmiki Biography की जो कहानी है वह बहुत रोचक है इनके जन्म से लेकर अंत तक जो भी जानकारी हासिल है वो आज इस पोस्ट मे बताएँगे। वाल्मीकि जी ने किस प्रकार रामायण की रचना की किस प्रकार डाकू से एक कवि बने।
महर्षि वाल्मीकि जिसने रामायण की रचना की, वाल्मीकि एक ऋषि के रूप मे जाने जाते है, महर्षि वाल्मीकि ने भगवान श्री राम की कथा को लिखा था, जो एक महाकाव्य है और भारतीय साहित्य के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में माना जाता है।
आज इस आर्टिकल मे Valmiki Ke Jivan के बारे मे या फिर वाल्मीकि की जीवन कथा को पूरा विस्तार से जानेंगे की वाल्मीकि कौन थे? बाल्मीकि पहले क्या थे? वाल्मीकि का जन्म कब हुआ था, रामायण और महर्षि वाल्मीकि का दोनों का क्या संबंध है ये सब इस आर्टिकल मे जानेंगे ।
Valmiki कौन थे? – Who is valmiki in hindi
क्या आपको पता है कि वाल्मीकि कौन थे, Valmiki History in Hindi यदि नहीं पता तो हम आपको बता दे की वाल्मीकि एक महान कवि थे जिन्होने रामायण ग्रंथ की रचना की थी। रामायण और वाल्मीकि यानि एक दूसरे का गहरा संबंध है।
वाल्मीकि का इतिहास बहुत प्राचीन रहा है वाल्मीकि का नाम वाल्मीकि से पहले रत्नाकार था जो एक डाकू के नाम से प्रसिद्ध था। जिन्होने भारत की इतिहास मे एक महत्वपूर्ण ग्रंथ की रचना की ।
वाल्मीकि प्रारम्भ मे जंगलों मे रहा करता था उनका जीवन पूरी तरह से जंगलो मे व्येतित होता था, जगलों से गुजरने राहगीरो को वो लुटता था। लूटी हुई, जिचों से अपना जीवन चलते थे।
Valmiki Ka Jivan Parichay In Hindi
आपको शायद पता नहीं होगा कि वाल्मीकि का जन्म कब और कहां हुआ था, तो आपको बता दे कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म हजारों वर्ष पूर्व त्रेता युग में हुआ था। और भारत देश मे हुआ था।
वाल्मीकि का जन्म प्रेचेता ऋषि के घर मे आश्विन पूर्णिमा को हुआ था, वाल्मीकि के पिता का नाम प्रेचेता ऋषि था।
वाल्मीकि का नाम प्रारम्भ मे रत्नाकर था। जो इनका वास्तविक नाम था, आपको बता दे कि वाल्मीकि किस जाती के थे, महर्षि वाल्मीकि जी का पालन पोषण भील समाज मे हुआ था, वाल्मीकि जी कि जाती के बारे मे स्पष्ट रूप से कहा नहीं जा सकता है।
कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीक पहले डाकू थे जिनका पालन पोषण भील समाज मे हुआ था लेकिन वाल्मीकि के पिता प्रेचता ऋषि थे, प्रेचेता ब्रह्मा के पुत्र थे, ये जानकारी कहानियो के आधार पर लिखी गयी है।
वह अपने परिवार के पालन पोषण के लिए जंगलों से गुज़रने वालों को लूट लिया करते थे।
वाल्मीकि के गुरु का नाम
महर्षि वाल्मीकि के गुरु कौन थे इस विषय मे किसी भी ग्रंथ मे इनके गुरु के बारे मे जानकारी नहीं मिलती है लेकिन अधिक लोगो का मानना है कि देवऋषि नारद जी ही वाल्मीकि जी के गुरू थे।
देवऋषि नारद जी के कहने पर ही वाल्मीकि जी ने लूट पाठ का रास्ता छोड़कर धर्म का रास्ता अपनाया था। इसी आधार पर कह सकते है कि महर्षि वाल्मीकि जी के गुरु देवऋषि नारद ही है ।
महर्षि वाल्मीकि और देवऋषि नारद की कहानी
एक बार नारद जी जंगल से होकर जा रहे थे तब रत्नाकर डाकू ने ( यानी वाल्मीकि ) नारद को बंदी बना लिया, नारद जी ने रत्नाकर से पूछा तुम ये लूट पाठ क्यों कर रहे हो, रत्नाकर ने उत्तर दिया मे ये सब अपने परिवार के लिए कर रहा हु।
नारद जी ने कहा ये घोर पाप है तुम जो कर रहे हो उनके पापो का फल तुम्हारे परिवार को भी भोगना पड़ेगा रत्नाकर ने कहा हा मेरे परिवार भी मेरे पापो का फल भोगेंगे। मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ खड़ा रहता है। इस विषय मे नारद जी ने कहा की अपने परिवार वालों से पुछ लो अगर वो हा कहते है तो मे अपना सारा धन तुम्हें दे दूंगा।
रत्नाकर ने अपने परिवार से पूछा तो किसी ने भी हा नहीं की, ओर रत्ना कर को बड़ा दुख हुआ इस प्रकार रत्ना कर ने बुराई का रास्ता छोड़ कर धर्म का रास्ता अपनाया ।
रामायण की रचना किसने की थी और कब, कैसे
जब भी यह सवाल आता है की रामायण की रचना किसने की तो लोग चुप हो जाते है लेकिन आज आपको बताएँगे की रामायण की रचना किसने की थी, ओर किस प्रकार रामायण रामायण ग्रंथ लिखा गया था ।
जब रत्नाकर बुराई का रास्ता छोड़ कर अच्छाई की राह पर चलने लगा तब उनको कुछ भी पता नहीं था। नारद जी ने उनको ताप ओर ध्यान करने को कहा ओर राम का नाम जाप करने की सलाह दी, तब से ही रत्नाकर ( वाल्मीकि ) ने ताप व ध्यान करने मे लग गए।
रत्नाकर ध्यान मे इतने लिन हो गए की उन्होने सारा रामायण का ज्ञान से पहले ही परिचित हो गए ( यानी रामायण घटित होने से पहले ही रत्ना कर को सब कुछ पता चल गया की श्री राम किस प्रकार इस धरती पर जन्म लेंगे ओर बुराई का अंत किस प्रकार होगा।
कहा जाता है की वाल्मीकि ध्याम मे इतने लिन हो गए थे की उनके शरीर पर चीटिया लग गई, उनकी इस भक्ति से ब्रह्मा देव को भी प्रसन्न कर लिए थे।
ओर इस प्रकार से रत्ना कर से महर्षि वाल्मीकि बन गए उनको रामायण का सारा ज्ञान रामायण घटित होने से पहले ही परिचित हो गए ।
इस प्रकार महर्षि वाल्मीकि ने रामायण ग्रंथ की रचना की यह ग्रंथ संस्कृत मे लिखा गया था यह ग्रंथ मे श्री राम के जीवन पर आधारित है, रामायण मे जीतने भी घटनाए घटित हुई थी उनका उलेख इस ग्रंथ मे मिलता है ।
रामायण ग्रंथ के रचना त्रेता युग मे हुई थी। इन घटना ज्ञान, ताप से ही महर्षि वाल्मीकि एक कवि के रूप मे भी प्रसिद्ध हुये
महर्षि वाल्मीकि जयंती क्यो मनाई जाती है
महर्षि वाल्मीकि जयंती वाल्मीकि के जन्म की याद मे मनाई जाती है अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन रामायण ग्रंथ के रचियाता वाल्मीकि का जन्म हुआ था ।इसी कारण से महर्षि वाल्मिकी के जन्मोत्सव को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है
इस दिन वाल्मीकि जी की पुजा होती है कई जगहो पर झकिया भी निकली जाती है। महर्षि वाल्मीकि जयंती भारत में मनाई जाती है क्योंकि वे भारतीय संस्कृति और धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।
उन्होंने रामायण जैसी महाकाव्य की रचना की थी जो आज भी भारत वर्ष में व्यापक रूप से पढ़ी जाती है और जिससे अनेकों महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक सन्देश संकलित हुए हैं।
वाल्मीकि जयंती उनके जन्मदिन पर मनाई जाती है जो चैत्र महीने के पूर्णिमा दिवस को पड़ता है। यह त्योहार भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है लेकिन इसके दौरान लोग रामायण की पाठशालाएं करते हैं और वाल्मीकि जी के जीवन और कार्य को समझने वाले भाषण दिए जाते हैं।
महर्षि वाल्मीकि क्या संदेश देता है
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने Valmiki Ka Jivan Parichay In Hindi को पढ़ा कि वाल्मीकि कौन थे? किस प्रकार उसने रामायण ग्रंथ कि रचना की। उनके जीवन से हमे क्या सीखने को मिलता है।
महर्षि वाल्मीकि एक प्राचीन भारतीय महाकवि थे जिन्होंने ‘रामायण’ का रचना किया था। रामायण एक प्राचीन एपिक कथा है जो भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है।
वाल्मीकि जीवन का महत्वपूर्ण संदेश है अपने कार्य के माध्यम से मनुष्य के अधिकार, धर्म, समाज और आध्यात्मिकता की महत्ता को समझाना।
वाल्मीकि जीवन का एक और महत्वपूर्ण संदेश उनकी साधना और तपस्या का महत्व है। उन्होंने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया था, लेकिन वे अपने आंतरिक शक्ति के साथ इन समस्याओं से निपटने में सफल रहे।
इसलिए उनका संदेश है कि धैर्य और साधना के माध्यम से हम समस्याओं का सामना कर सकते हैं और अपने जीवन में सफल हो सकते हैं।
इसके अलावा, वाल्मीकि ने रामायण के माध्यम से धर्म, नैतिकता, स्वाभिमान, प्रेम, करुणा, वचनवद्धता, विश्वास और धैर्य जैसी विभिन्न मूल्यों को भी समझाया है।